भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तैयारी / संतोष अलेक्स

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:35, 20 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> नर्तक ने तैयार…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नर्तक ने
तैयारी की थी नृत्य की
हम भी होते हैं तैयार
पर उस जैसा
नाच नहीं पाते

हम जैसी तैयारी करते हैं
वैसे ही तैयार हो अगर वह
तो उसे रोज़-रोज़
हमारी तरह तैयार होना पड़ेगा !

अनुवाद : अनिल जनविजय

शब्दार्थ
<references/>