ख़ामोश कहाँ जिन्दगी आवाज देती है
सुन कर तो देख जीने का हर राज़ देती है
जो आसमाँ छूने का रखता है हौंसला
उसको बलन्द ज़िन्दगी परवाज़ देती है
इस ज़िन्दगी के सुर में जो सुर मिला सके
कितना सुरीला ज़िन्दगी उसे साज़ देती है
उसके हुकुम को जो भी बजा लाता है ज़नाब
इंसानियत का आदमी को ताज़ देती है
‘इरशाद’ सब से मिलना अदब और प्यार से
ये दुनिया कितना फिर तुम्हें एज़ाज़ देती है