Last modified on 23 अप्रैल 2011, at 18:20

उनसे मिलने जाना है / विज्ञान व्रत

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:20, 23 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विज्ञान व्रत |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> उनसे मिलने जाना …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उनसे मिलने जाना है।
खुद से मिलकर आना है।

सूरज को घर जाने दो
उसको कल फिर आना है।

मुझको सुबह से पहले ही
बस्‍ती बस्‍ती जाना है।

जाने किसका खत हूं मैं
नाम पता अनजाना है।

मैं तो अपने साथ रहूं
उसके साथ जमाना है।