ये बड़कवे,
पुराने, गब्बर,
पेटू अफसर
चाल-फेर से
चला रहे हैं
राजतंत्र का
चक्कर-मक्कर
अब तक-अब तक,
इनसे पककर
टूट रही है
जनता थककर,
इन्हें हटा पाना है
मुश्किल,
इनके आगे
एक नहीं चल पाती
अक्किल।
रचनाकाल: २५-०७-१९७२
ये बड़कवे,
पुराने, गब्बर,
पेटू अफसर
चाल-फेर से
चला रहे हैं
राजतंत्र का
चक्कर-मक्कर
अब तक-अब तक,
इनसे पककर
टूट रही है
जनता थककर,
इन्हें हटा पाना है
मुश्किल,
इनके आगे
एक नहीं चल पाती
अक्किल।
रचनाकाल: २५-०७-१९७२