राम-नाम-महिमा-6
(101)
साँची कहौं , कलिकाल कराल! मैं ढारो-बिगारो तिहारेा कहा है।
कामको , कोहको , लोभको , मोह को मोहिसों आनि प्रपंचु रहा है।।
हौ जग नायकु लायक आज , पै मेरिऔ टेव कुटेव महा ळें
जानकीनाथ बिना ‘तुलसी’ जग दूसरेसों करिहौं। न हहा है।।
(102)
भागीरथी-जलु पान करौं ,अरू नाम कै रामके लेत निते हौं।
मोको न लेेनो , न देनो कछू , कलि! भूलि न रावरी ओर चितैहौं।।
जानि कै जोरू करौ, परिनाम तुम्हैं पछितैहौ , पै मैं न भितैहौं।।