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माँ की किस्मत / नरेश मेहन

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कितना सजाया
उस चिड़िया ने
तिनका-तिनका लाकर
रोशनदान में
अपना घर।
चिड़िया के बच्चों ने
बदल दिया
विरानी को
चहचहाती खुशहाली में।
नन्हों ने
मिलायी चोंच
अपनी माँ की
चोंच में।
देखी उनमें
अपनी माँ।
कुछ दिनों बाद
नन्हें बड़े हो गए
उड़ गए
किसी के साथ।
उस सजे-सजाये घर में
अब चिड़िया अकेली थी
घर फिर विरान था।
फिर
एक दिन
वह घोंसला
बाहर फेंक दिया गया।
मैं सोचता हूँ
हर माँ
ऐसी किस्मत लेकर
क्यों आती हैं।