भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भदरक / नीरज दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:42, 9 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नीरज दइया |संग्रह=साख / नीरज दइया }} [[Category:मूल राजस्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भोळी बात है
मूठ सूं मिनख मरै!

मिनख तो
मर्‌यां ई नीं मरै
मारणियो मरै
सोच-सोच’र
जे हुवै- मिनख।

मिनख,
आपरै मांयलै मिनख सूं ई
मिनख हुवै
नींतर उण रै जीवण मांय
कांई भदरक हुवै?