भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शंका / नरेश अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:14, 9 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश अग्रवाल |संग्रह=पगडंडी पर पाँव / नरेश अग्रव…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कचड़ा उठाने वालों पर
कुत्ते भौंकते हैं
जबकि वे जानते हैं
अब कचड़े में कुछ भी नहीं
जो भी था वे खा चुके
फिर भी शंकित -
शायद कुछ बचा हो।