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खिलाड़ी / चित्रकार / नरेश अग्रवाल / नरेश अग्रवाल

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गजब सा खेल है यह
इसमें खिलाड़ी हवा में गुलाटी लगाता है
फिर सीधे पांव खड़ा हो जाता है डंडे की तरह
बेहद कठिन है यह
इसलिए लोग खड़े हैं इसे देखने
रोमांच जाग पड़ता है सबों के शरीर में
कई बार तो लगता है
वह ठीक से नहीं कर पायेगा इस खेल को
तुड़वा बैठेगा अपनी हड्डिïयां
और गिर जाएगा कमर के बल टेढ़ा होकर
लेकिन सबकी इच्छा है
वह कभी गिरे नहीं
खेल उसका चलता रहे।
सांस रुक जाती है लोगों की
जब वह लगभग जमीन छूने को होता है
और जमीन छूते ही वापस शुरू कर देता है
अपने खेल को
आनंद उतर आता है दर्शकों में
सभी थोड़े-थोड़े रुपये उसे दे देते हैं
हालांकि वह किसी से कुछ नहीं मांगता
सिर्फ सारा ध्यान केंद्रित करता है खेल में।