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कलम / नरेश अग्रवाल

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कलम काटकर मिट्टी में रोप दी गयी
और वो जमीन में घुलमिल गयी
कितना आश्चर्यजनक है यह मिलन
मिलन जो बड़े वृक्ष की शक्ल में बाहर आता हुआ
एक वृक्ष के छोटे से टुकड़े में भी इतनी सामथ्र्य।
सभी का जीवन लटका हुआ
इसी तरह से डालियों में
अनन्त संभावनाएं चूमता हुआ आकाश
करती है डालियां इंतजार
उन इच्छुक हाथों का,
चाहे बाग-बगीचे हों या घर
कोई चुनाव नहीं उनके पास
बस कहीं पर भी रोप दिया जाए उन्हें,
अनाथ बढ़ते हुए बच्चे चाहते हैं
उन्हें भी कोई उपयुक्त स्थान मिले, मिलें अच्छे हाथ
डालियां देखती रहती हैं हमारी ओर
करती रहती हैं हमारा इंतजार।