करें क्या शिकायत अँधेरा नहीं है
अजब रौशन है कि दिखता नहीं है
ये क्यों तुमने अपनी मशालें बुझा दीं
ये धोखा है कोई, सवेरा नहीं है
ये कैसी है बस्ती, ना दर, ना दरीचा
हवा के बिना दम घुटता नहीं है !
नई है रवायत या डर हादसों का
यहाँ कोई भी शख़्स हँसता नहीं है
ये किसका है खंजर, ये खंजर से पूछो
ये तेरा नहीं है, ये मेरा नहीं है