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इस युग में / समीर बरन नन्दी
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जोते हुए खेत की नई दूब पर
सुबह की सुनहरी धूप में
चारो ओर असंख्य
बूँद-बूँद सोना बिछा हुआ है ।
इस वर्ष हरसिंगार के सफ़ेद-पीले फूल
मरे हुए हंसो की तरह गिरे है
देखता हूँ आँख तले-पाँव तले बिछ आया है --
मरण आतुर अनंत सुनहला जीवन ।