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करीमन और अशर्फ़ी / उदय प्रकाश

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शाहनवाज़ खाँ

तुम अपनी अंटी से तूतनखामेन की

अशर्फ़ी निकालना ।


उधर हाट के सबसे आख़िरी छोर पर

नीम के नीचे

टाट पर

कई साल से अपनी झुर्रियों समेत बैठी

करीमन किरानची होगी ।


तुम उससे अशर्फ़ी के बदले

लहसुन माँगना ।


यह शर्त रही

कि वह नहीं देगी ।