Last modified on 21 मई 2011, at 04:08

विश्वास की नई परिभाषा / नवनीत पाण्डे

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:08, 21 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवनीत पाण्डे |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}}<poem>जब भी दिखाई जात…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब भी दिखाई जाती है टॉफ़ी उसे
वह लेने, हाथ बढाने, मचलने से पहले
विचारता है
क्यूंकि-
कई बार छला गया है वह
टॉफ़ी की जगह कागज से
वह सीख रहा है विश्वास की नई परिभाषा
और दिखा रहा है टॉफ़ियां सबको