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मन करता है / नवनीत पाण्डे

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मन करता है
लौट जाऊं वापस
दौड़कर पहुंचूं फ़िर वहीं
संभाल कर अपने को
देखूं, जानूं-
सूरज, हवा, समय को
और पुन: शुरु करुं अपनी यात्रा
रखूं पांव जतन से
अपने मनचाहे भविष्य में
इस अनचाहे वर्तमान को टालने के लिए