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तोड़ा गया न जाने क्या-क्या / शहंशाह आलम

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तोड़ा गया न जाने क्या-क्या

न जाने क्या-क्या पाने के लिए


ईश्वर के जन्मस्थान को पाने के लिए

तोड़े गए बार-बार ईश्वर

और तोड़े जाने की मांगों के साथ


इतिहास को पाने के लिए

इतिहास तोड़ा गया निरंतर


यही होना था

स्त्री को पाने के लिए तोड़ी गई स्त्री

इस पूरे दृश्य-फ़लक पर


प्रजा को पाने के लिए

तोड़ी गई प्रजा

देवताओं का भय दिखाकर


बर्फ़ को पाने के लिए

बर्फ़ तोड़ी गई

पूरी उत्तेजना के साथ


जंगल को पाने के लिए जंगल

पहाड़ को पाने के लिए तोड़े गए पहाड़


पिता को पाने के लिए

तोड़े गए पिता पूरी क्रूरता से


लालटेन, बल्ब, ट्यूबलाइट

मेरा हारमोनियम, मेरा स्वर

सब कुछ को तोड़ा तुमने

सप्तॠषिओं की पीठ पर चढकर


अब तुम पूरी पृथ्वी को पाने के लिए

अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए

कर रहे हो जीवन के अंत की घोषणा

तोड़ रहे हो पक्षियों के पंख