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एक शब्द चित्र / माया मृग

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धरती जो माँ,
तो आकाश पिता !
बेहद कामुक या
बेहद प्रेमी ?
हर वक्त झुका रहता
अपनी प्रिया पर,
सुबह-शाम उसकी
इकलौती आँख में,
लाल डोरे तैरते !
सब बच्चे सोये,
सब बच्चे चुपचाप,
सब बच्चे अनजान,
माँ-पिता की ढलती उम्र के
प्रेम से।
पर कोई-कोई बच्चा शरारती
चुपके से आँखें खोलता,
देखता, हैरान होता
और कविता लिख-लिख
सबको बताता।