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मैं और सवेरा / माया मृग

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अभी रहने दो
रात बहुत बाकी है,
सड़कें भी बहुत खाली !
देखना है -
कदम ही थक जाते है
या कि
रात ही धुंधवा कर
दम तोड़ देती है।
जो भी हो
ये तय है कि मैं
जब भी घर पहुँचूंगा
सवेरा मेरे स्वागत को
चौखट पे होगा।