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आगाह / हरीश करमचंदाणी
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अँधेरा
झपटा मार दबोच लेगा
रोशनी को
चुस्त चीते की तरह
और नाखुनो, पंजों ,मजबूत गिरफ्त से
बच नहीं पायेगा रोशनी का बदन
कहो रोशनी से रफ्तार अपनी तेज करे