भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सभ्यता / हरीश करमचंदाणी
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:31, 26 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>बहुत छोटी सी कहानी हैं मनुष्य के विकास की इतनी छोटी कि फिर फिर …)
बहुत छोटी सी कहानी हैं
मनुष्य के विकास की
इतनी छोटी कि
फिर फिर आ जाता हैं
वहीं प्रस्थान बिंदु पर
मनुष्य
जहां से शुरू हुई थी
उसकी यात्रा