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ढाबे में लड़का / हरीश करमचंदाणी
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ढाबे में
मेज बजा कर
मैंने लड़के से पानी को कहा
उसने लापरवाही से मेरी तरफ देखा
और पानी भरा गिलास मेज पर पटका
मेरा ध्यान पानी में डूबी उसकी उँगलियों पर था
नन्ही पतली सी उन उँगलियों में तो
रंगीन पेंसिल होनी चाहिए
मुझे बेतहाशा अपना बेटा याद आया
फिर मुझसे वहां रुका ना गया
पीछे से चीख सुनाई दी
ग्राहक ख़राब कर दिया ना
लड़के पर हाथ उठाता मालिक चिल्ला रहा था
मैं शर्मिंदा था
मेरी भावुकता उस बच्चे के लिए महँगी पड़ी