भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पद 57 से 70 तक/पृष्ठ 8

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:58, 28 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

64
राग टोड़ी
बूझत जनक नाथ, ढोटा दोउ काके हैं ?

तरुन तमाल चारु चम्पक-बरन तनु
कौन बड़े भागीके सुकृत परिपाके हैं ||

सुखके निधान पाये, हियके पिधान लाये,
ठगके-से लाडू खाये, प्रेम-मधु छाके हैं |
स्वारथ-रहित परमारथी कहावत हैं,
भे सनेह-बिबस बिदेहता बिबाके हैं ||

सील-सुधाके अगार, सुखमाके पारावार,
पावत न पैरि पार पैरि पैरि थाके हैं |
लोचन ललकि लागे, मन अति अनुरागे,
एक रसरुप चित सकल सभाके हैं ||

जिय जिय जोरत सगाई राम लखनसों
आपने आपने भाय जैसे भाय जाके हैं |
प्रीतिको, प्रतीतिको, सुमिरिबेको, सेइबेको,
सरनको समरथ तुलसिहु ताके हैं ||