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उमंगों भरा शीराज़ा / नचिकेता

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मीठे सपनों-सी

उगती तुम

मेरी आँखों में


गर्म पसीने की

छलकी बूँदों सी ताजा हो

प्यार, हँसी, उल्लास, उमंगों

भरा शीराज़ा हो

हो सुगंध की कंपन

वनफूलों की

पाँखों में


कैलाये गेहूँ की

बाली सी हो गदराई

मंजरियों से लदी हुई

फागुन की अमराई

गुच्छे-गुच्छे

फूल रही

सहजन की शाखों में


छूकर तन-मन का

रेशा-रेशा मुस्कानों से

उम्दा गीतों को रच देती

लय, स्वर-तानों से

मेरी खातिर

तुम हो एक

करोड़ों-लाखों में