किस तरह मिलूँ तुम्हें
क्यों न खाली क्लास रूम में
किसी बेंच के नीचे
और पेंसिल की तरह पड़ा
तुम चुपचाप उठाकर
रख लो मुझे बस्ते में
क्यों न किसी मेले में
और तुम्हारी पसन्द के रंग में
रिबन की शक़्ल में दूँ दिखाई
और तुम छुपाती हुई अपनी ख़ुशी
खरीद लो मुझे
या कि कुछ इस तरह मिलूँ
जैसे बीच राह में टूटी
तुम्हारी चप्पल के लिए
बहुत ज़रूरी पिन