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गीतावली पद 71 से 80 तक/ पृष्ठ 10

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अनुकूल नृपहि सूलपानि हैं |
नीलकण्ठ कारुन्यसिन्धु हर दीनबन्धु दिनदानि हैं |

जो पहिले ही पिनाक जनक कहँ गये सौम्पि जिय जानि हैं |
बहुरि त्रिलोचन लोचनके फल सबहि सुलभ किये आनि हैं

सुनियत भव-भाव ते राम हैं, सिय भावती-भवानि हैं |
परखत प्रीति-प्रतीति, पयज-पनु रहे काज ठटु ठानि हैं ||

भये बिलोकि बिदेह नेहबस बालक बिनु पहिचानि हैं |
होत हरे होने बिरवनि दल सुमति कहति अनुमानि हैं ||

देखियत भूप भोर-के-से उडुगन, गरत गरीब गलानि हैं |
तेज-प्रताप बढ़त कुँवरनको, जदपि सँकोची बानि हैं ||

बय किसोर, बरजोर, बाहुबल-मेरु मेलि गुन तानिहैं |
अवसि राम राजीव-बिलोचन सम्भु-सरासन भानिहैं ||

देखिहैं ब्याह-उछाह नारि-नर, सकल सुमङ्गल-खानि हैं |
भूरिभाग तुलसी तेऊ, जे सुनिहैं, गाइहैं, बखानिहैं ||