Last modified on 31 मई 2011, at 13:24

गीतावली पद 81 से 90 तक/पृष्ठ 3

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:24, 31 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

83

देखि देखि री! दोउ राजसुवन |
गौर स्याम सलोने लोने लोने, लोयननि,
जिन्हकी सोभा तें सोहै सकल भुवन ||

इन्हहीं ताडका मारी, मग मुनि-तिय तारी,
ऋषिमख राख्यो, रन दले हैं दुवन |
तुलसी प्रभुको अब जनकनगर-नभ,
सुजस-बिमल-बिधु चहत उवन ||