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हम कर भी क्या सकते हैं / नील कमल

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भोर के फलक पर रात का
गर्भपात होने के बाद
जब लुढ़कने लगे सूरज
किसी हत्यारे समय में
हम कर भी क्या सकते हैं ?

पाँच सौ पैंतालिस कुर्सियों वाले
उस गोलघर में
जब सवा सौ करोड़ लोगों के नुमाइंदे
जोकर और भाँड़ बन गए हों
हम कर भी क्या कर सकते हैं ?

नीली आँखों और गुलाबी सपनों वाली
लड़कियाँ व्यस्त हों
जब अपने-अपने प्रेमी फाँसने में
जनसंपर्क में दक्ष अपनी माँओं के साथ
हम कर भी क्या सकते हैं ?

आस्तीनों में पाले हुए साँप
जब उतारने लगें ज़हर
हमारी ही नीली नसों में
और लहू के लाल रंग पर हो ख़तरा
हम कर भी क्या सकते हैं ?

बेहतरीन कविताएँ भी घुटने टेक
जब पराजित-सी खड़ी हों
और नज़रों के बुझते अलाव में
न भभके कोई एक मद्धम चिंगारी
हम कर भी क्या सकते हैं ?

सचमुच हम कर भी क्या कर सकते हैं
सिवाय इसके कि लिखें
कुछ और बेहतर कविताएँ
इस कठिन और बंजर होते समय में ?