भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 71 से 80/पृष्ठ 3
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:55, 5 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)
(73)
बहुरो भरत कह्यो कछु चाहैं |
सकुच-सिन्धु बोहित बिबेक करि बुधि-बल बचन निबाहैं ||
छोटेहुतें छोह करि आए, मैं सामुहैं न हेरो |
एकहि बार आजु बिधि मेरो सील-सनेह निबेरो ||
तुलसी जो फिरिबो न बनै, प्रभु तौ हौं आयसु पावौं |
घर फेरिए लषन, लरिका हैं, नाथ साथ हौं आवौं ||