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गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 81 से 89/पृष्ठ 1

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मोहि भावति, कहि आवति नहि भरतजूकी रहनि |
सजल नयन सिथिल बयन प्रभु-गुन-गन कहनि ||

असन-बसन-अयन-सयन धरम गरुअ गहनि |
दिन दिन पन-प्रेम-नेम निरुपधि निरबहनि ||

सीता-रघुनाथ-लषन-बिरह-पीर सहनि |
तुलसी तजि उभय लोक रामचरन-चहनि ||