Last modified on 5 जून 2011, at 16:39

गीतावली अरण्यकाण्ड पद 1 से 5/पृष्ठ 4

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:39, 5 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(4).
रागकल्याण
कर सर-धनु, कटि रुचिर निषङ्ग |
प्रिया-प्रीति-प्रेरित बन-बीथिन्ह बिचरत कपट-कनक-मृग सङ्ग ||

भुज बिसाल, कमनीय कन्ध-उर, स्रम-सीकर सोहैं साँवरे अंग |
मनु मुकुता मनि मरकत गिरिपर लसत ललित रबि-किरनि प्रसङ्ग ||

नलिन नयन, सिर जटा-मुकुट, बिच सुमन-माल मनु सिव-सिर गङ्ग |
तुलसिदास ऐसी मूरति की बलि, छबि बिलोकि लाजैं अमित अनङ्ग ||