भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अरण्यकांड पद 11 से 15 तक/पृष्ठ 4

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:33, 5 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(14)
नीके कै जानत राम हियो हौं |
प्रनतपाल, सेवक-कृपालु-चित, पितु पटतरहि दियो हौं ||

त्रिजगजोनि-गत गीध, जनम भरि खाइ कुजन्तु जियो हौं |
महाराज सुकृती-समाज सब-ऊपर आजु कियो हौं ||

श्रवन बचन, मुख नाम, रुप चख, राम उछङ्ग लियो हौं |
तुलसी मो समान बड़भागी को कहि सकै बियो हौं ||