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जहाँ तुमने / भगवत रावत

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आज की तारीख़ वाले

इस पन्ने पर

मैं लिखूँगा एक कविता

कुछ इस तरह

कि मैं पहुँच जाऊँगा

वहाँ

जहाँ तुमने

एक कुर्सी के बराबर

जगह छॊड़ रखी है ।