भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जहाँ तुमने / भगवत रावत
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:50, 29 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भगवत रावत |संग्रह=दी हुई दुनिया / भगवत रावत }} आज की तारी...)
आज की तारीख़ वाले
इस पन्ने पर
मैं लिखूँगा एक कविता
कुछ इस तरह
कि मैं पहुँच जाऊँगा
वहाँ
जहाँ तुमने
एक कुर्सी के बराबर
जगह छॊड़ रखी है ।