भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 21 से 30 तक/पृष्ठ 10
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:42, 9 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)
(30)
महाराज रामपहँ जाउँगो |
सुख-स्वारथ परिहरि करिहौं सोइ, ज्यौं साहिबहि सुहाँउगो ||
सरनागत सुनि बेगि बोलि हैं, हौं निपटहि सकुचाउँगो |
राम गरीबनिवाज निवाजिहैं जानिहैं, ठाकुर-ठाउँगो ||
धरिहैं नाथ हाथ माथे, एहितें केहि लाभ अघाउँगो |
सपनो-सो अपनो न कछू लखि, लघु लालच न लोभाउँगो ||
कहिहौं, बलि, रोटिहा रावरो, बिनु मोलही बिकाउँगो |
तुलसी पट ऊतरे ओढ़िहौं, उबरी जूठनि खाउँगो ||