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सर्दी की धूप / रमेश तैलंग
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थोड़ी-सी सर्दी क्या पड़ने लगी।
धूप बड़ी छुट्टियॉं करने लगी।
मौसम पर कुहरे का रंग चढ़ गया,
दादी के घुटने का दर्द बढ़ गया,
छाती भी घरर-घरर करने लगी।
अम्मॉं के ऊनी कपडे़ रो रहे,
सूरज दादा मुँह ढक के सो रहे,
चाय की खपत घर में बढ़ने लगी।
दॉंत अचानक कँपकँपाने लगे,
बाथरूम में पापा गाने लगे,
हीटर की किस्मत बदलने लगी।