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गीतावली उत्तरकाण्ड पद 11 से 20 तक/ पृष्ठ 12

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(19)
(वर्षा-वर्णन 4)

झुण्ड-झुण्ड झूलन चलीं गजगामिनि बर नारि |
कुसुँभि चीर तनु सोहहीं, भूषन बिबिध सँवारि ||

पिकबयनी मृगलोचनी सारद ससि सम तुण्ड |
रामसुजस सब गावहीं सुसुर सुसारँग गुण्ड ||

सारङ्ग गुण्ड-मलार, सोरठ, सुहव सुघरनि बाजहीं |
बहु भाँति तान-तरङ्ग सुनि गन्धरब किन्नर लाजहीं ||

अति मचत, छूटत कुटिल कच, छबि अधिक सुन्दरि पावहीं |
पट उड़त, भूषन खसत, हँसि-हँसि अपर सखी झुलावहीं ||