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उसकी बातों पे / कृष्ण शलभ
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उसकी बातों पे ध्यान मत देना
हाथ उसके कमान मत देना
पंख जल जाएँ आ के सूरज तक
इतनी ऊँची उड़ान मत देना
जिसपे नादिम हों अपनी संतानें
ऐसा झूठा बयान मत देना
अपनी औक़ात भूल जाऊँ मैं
कोई ऐसा गुमान मत देना
बोल मीठे न बोल पाए दो
या खुदा वो जुबान मत देना!