समुद्र वह है
जिसका धैर्य छूट गया है
दिककाल में रहे-रहे !
समुद्र वह है
जिसका मौन टूट गया है,
चोट पर चोट सहे-सहे !
समुद्र वह है
जिसका धैर्य छूट गया है
दिककाल में रहे-रहे !
समुद्र वह है
जिसका मौन टूट गया है,
चोट पर चोट सहे-सहे !