Last modified on 20 जून 2011, at 20:26

बेवजह दिल पे कोई /उर्मिलेश

Dr.sonroopa vishal (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:26, 20 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: बेवजह दिल पे कोई बोझ न भारी रखिये ज़िन्दगी जंग है इस जंग को जारी र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बेवजह दिल पे कोई बोझ न भारी रखिये ज़िन्दगी जंग है इस जंग को जारी रखिये

अब कलम से न लिखा जाएगा इस दौर का हाल अब तो हाथों में कोई तेज कटारी रखिये

कितने दिन ज़िन्दा रहे इसको न गिनिये साहिब किस तरह ज़िन्दा रहे इसकी शुमारी रखिये

उसकी पूजा कहीं ईश्वर को न कर दे बदनाम अब तो मंदिर में कोई और पुजारी रखिये

आपको आपसे बढ कर जो बताएं हरदम ऐसे लोगों से ज़रा दूर की यारी रखिये

ज़िन्दगी भर के लिए हम न कहेंगे तुमसे आज,बस आज ज़रा बात हमारी रखिये .