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यों न मिलने में शरमाइये / गुलाब खंडेलवाल

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यों न मिलने में शरमाइये
दो घड़ी रुक भी तो जाइए

प्यार मुँह से न कहते बने
प्यार आँखों से जतालाइये

जान हाज़िर है लेकिन, हुज़ूर!
अपनी सूरत तो दिखलाइये

शर्त है प्यार की एक ही
खुद तड़पिये तो तड़पाइए

सामने उनके चुप हैं गुलाब
कुछ भी कहिये तो शरमाइये