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जाओ / प्रयाग शुक्ल

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'जाओ'

मैं ने कहा

'जाओ'


शायद ये उम्र के आख़िरी बरस हैं ।

अब थक गया हूँ मैं--

करते तुम्हारी याद

रोज़ रोज़ ।


फिर दिन गया है डूब ।