भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

`होली’हाइकु/रमा द्विवेदी

Kavita Kosh से
Ramadwivedi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:41, 5 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }} <poem> १- हँसी ठिठोली, चितचोर की होल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


१- हँसी ठिठोली,
चितचोर की होली
राधा लजाई ।

२- गुलाबी ठंड़
रंगों की बरसात
अंगिया भीगी ।

३- प्रेम का रंग
राधा कान्हा मगन
चूनर लाल ।

४- उगती धूप
गुनगुनाती धरा
आया वसंत ।


५- अमवा डाल
कूकती कोयलिया
प्रिय की प्यास ।

६- मन उदास
प्रिय परदेश
गरजे मेघ ।

७- जिया धड़के
घन-घन बरसे
पलकें बंद।

८- प्यार की प्यास
दहकता पलाश
बसंत साथ ।

९- महुआ फूला
 मादक भरी गंध
रितु प्यार की।

१०- बदरा घिरे
अंग-अंग महका
मोर चहका।