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रोहिड़ो (2) / कन्हैया लाल सेठिया
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लियां
नैणां में
खड़ै फूलां रा सपना
ऊभो
रिण रोही में
बजर देही रोहिड़ो,
दियो
इण नै जलम
कंचन वरणी
कुंआरी धरती,
कोनी मंडयोड़ा
अठीनै
कोई रै पगां रा खोज
टळगी परै स्यूं ही
चुगलखोर गेल्यां,
रमै छयां तळै
भोला सुसिया
करै हतायां
बातेरण कमेडयां
लडावै
कंवळा पानड़ां नै
हेतालु पून
पण मनासी
कता दिन खैर
बापड़ै
बकरिये री मा ?
फिरै
सोधती
इण नै
जीव री बैरण
दांतली करोत !