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कुदरत का पुरुस्कार / सुरेश यादव
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धूप की तपन खुद सहने
छाँव सबको देने का प्रण
पेड़ों ने लिया
धूप ने बदले में
फूलों को रंगीन
पेड़ों को हरा भरा कर दिया
हज़ारों मील चल कर
गयी थीं जो नदियाँ
और…मीठा पानी,
खारे समुन्दर को दिया
बदल गया इतना मन समुन्दर का
रख लिया खारापन पास अपने
और बादलों के हाथ
भेजा मीठे जल का तोहफा
नदियों को फिर जिसने भर दिया।