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क्या यह काफी नहीं / जितेन्द्र सोनी
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तू जाने
या ना जाने
क्या फर्क पड़ता है !
मैं जानता हूँ
जान लिया तुम्हें
तुमसे भी ज्यादा
क्या यह
काफी नहीं
तुम्हारे दिल का
एक कोना पाने को ?