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मज़े में हैं सारे / अरविन्द श्रीवास्तव

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मज़े में हैं ईश्वर सारे
ब्रह्मांड के ज्ञात-अज्ञात सहचर
कीट-पतंग, अंधे-बहरे
बाबा-भिखारी, ग्रीष्म और शरद
माउस की-बोर्ड
प्रेमी युगल
साँसें धड़कनें
पत्ते टहनियाँ
शब्द मुहावरे
सुख दुख
स्वर्ग नरक
समुद्र हवा
उम्मीद और सपने सारे
मज़े में हैं
कविता परिवार का हिस्सा होने से!