भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सिरजक / हरीश बी० शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:26, 8 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=थम पंछीड़ा.. / हरीश बी० शर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जिको
जमीं माथै रैवै है
आज नै समझै
धूळ-बादळां सूं जिकै नैं मतळब कोनी,
आपरो काम ध्यान है
जिकै रै निमत्त आयौ है
जित्तो हुय सकै करणो है
रूकणो नीं है
इसा लोग
इतिहास बणावै है
करमां री कहाणी बतावै है
अवसरां री आस नीं राखै।