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खीचड़ो / हरीश बी० शर्मा

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सजा
जिकी भुगतै
लारै रैयोड़ा ‘आपरा’
मरणियै रा सपूत,
लोकाचारै।

गळती,
मरणियै री
कै इत्तो बूढ़ो हुय‘र
माचो क्यूं छोड्यो ?