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मूंज रा बट / हरीश बी० शर्मा
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किंकरयै री डाळां में
सूखती फळी
कलेवो, बकलड़ी रो,
गीली ही पैला
मूंगी छम्म,
अबै सूख‘र
पीळी केसर बणी ऐंठी है
हाथ रै हिलारै सूं
छण-छणाट कर‘र
पड़ जावै है ?
बळ नीं जावै है।