पीठ फेरते ही
वे दाग देंगे 
दस-बीस गोलियाँ 
और एक खंजर 
उतार देंगे आर-पार 
ऐसी उम्मीद तो कतई न थी 
बातें सब तय हो चुकी थीं 
ढाई इंच की मुस्कान के साथ 
कहा था उन्होंने 'बाय'- 
कल फिर मिलने का वादा था 
पर कल के लिए 
कुछ भी बाक़ी नहीं छोड़ा था उन्होंने 
यक़ीनन भरे होंगे 
किसी दोस्त ने कान 
कान का भरा जाना उतना 
ख़तरनाक नहीं है 
जितना कान का कच्चा होना 
एक अर्से बाद जब होगा उन्हें अहसास 
कि वे ग़लती पर थे 
तब तक पेंजई<ref>पेंजई के फूल बसंत में खिलते हैं। इन फूलों की पंखुडि़यों में मानव के सिर का कंकाल डरावना दिखाई देता है। इन फूलों को देखते हुए लगता है मानो बगीचे में स्केल्टन ही स्केल्टेन पंखुडि़यों पर छा गए हैं।</ref> के फूलों में 
उभरे स्केल्टन हो चुके होंगे 
हम।
शब्दार्थ
<references/>